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में ब्रिटेन का नागरिक,हिन्दू मेरा धर्म है,गीता पर हाथ रख शपथ लेने वाले भारत वंशी ऋषि सुनक (rishi sunak,) के बारे में खास बातें

न्यूज1express

ऋषि सुनक:-(Rishi Sunak )ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने भारत की आजादी के विरोध में कहा था ‘अगर भारत को आजाद किया गया तो सत्ता गुंडों और मुफ्तखोरों के हाथ में चली जाएगी.

सभी भारतीय नेता बहुत ही कमजोर, भूसे के पुतलों जैसे होंगे.’ आज उसी विंस्टन चर्चिल के इंग्लैंड में एक भारतवंशी प्रधानमंत्री बन गया है. 42 साल के ऋषि सुनक ने प्रधानमंत्री का चुनाव जीतकर नया इतिहास रच दिया है. सुनक इससे पहले ही पीएम बन जाते लेकिन तब वे अपनी प्रतिद्वंद्वी लिज़ ट्रस से पिछड़ गए थे.

35 साल में बने सांसद, गीता पर हाथ रखकर ली थी शपथ

भारतीय मूल के ऋषि सुनक का ब्रिटेन की राजनीति में बहुत बड़ा नाम है जो कुछ ही सालों में तेज़ी से उभरा है. उन्होंने 2015 में, 35 साल की उम्र में, पहली बार यॉर्कशायर से सांसद पद का चुनाव जीता था और साल 2020 में ऋषि सुनक वित्‍त मंत्री बन गए. उन्होंने गीता पर हाथ रखकर शपथ ली थी और अब वे देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. वित्तमंत्री बनने के बाद जब एक ब्रिटिश अखबार ने उनसे सवाल पूछा तो ऋषि ने कहा, ‘मैं अब ब्रिटेन का नागरिक हूं लेकिन मेरा धर्म हिंदू है. भारत मेरी धार्मिक और सांस्‍कृतिक विरासत है. मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैं एक हिंदू हूं और हिंदू होना ही मेरी पहचान है.’

जानिए ऋषि सुनक के जीवन से जुड़ी खास बातें

सुनक की डेस्‍क पर भगवान गणेश की छोटी-सी प्रतिमा रखी हुई है जो उनकी पत्नी अक्षता ने रखी है. सुनक बीफ का सेवन नहीं करते हैं और ना ही शराब पीते हैं. भगवद्गीता के बारे में उनकी राय है कि जब-जब वे किसी बात को लेकर परेशान होते हैं तो गीता उन्हें हिम्मत और मजबूती देती है. ऋषि ब्रिटेन में भारतीय मूल की तीसरी पीढ़ी हैं. उनके दादा-दादी भारत के विभाजन से पहले ही पाकिस्तानी पंजाब के गुजरांवाला से ईस्ट अफ्रीका केन्या चले गए थे और कुछ सालों के बाद वे इंग्लैंड के सॉउथैंप्टन शहर आकर बस गए थे

 

हां 1980 में ऋषि सुनक का जन्म हुआ था. इसी शहर में वो पले-बढ़े हैं. बीबीसी की खबरों के मुताबिक, सॉउथैंप्टन में हम वहां ऐसे कई लोगों से मिले जो ऋषि सुनक बचपन से जानते थे और आज भी उनसे संपर्क में है. जिसमें से एक 75 वर्षीय नरेश सोनचाटला हैं जो ऋषि सुनक को बचपन से जानते हैं. वो कहते हैं, “ऋषि सुनक जब छोटा बच्चा था तब से सॉउथैंप्टन स्थित मंदिर में अपने माता-पिता और दादा-दादी के साथ अक्सर आया करता था. ” संजय चंदाराणा कॉर्पोरेट ऋषि से हाल में ही मिले जब पिछले महीने वो मंदिर आये थे. उस भेंट को याद करते हुए संजय कहते हैं, “वो रोटियां बना रहे थे, गोल बन रहीं थीं तो मैंने उनसे पूछा कि घर पर आप ही खाना बनाते हो? तो उसके जवाब में उन्होंने कहा कि हां मुझे खाना बनाना अच्छा लगता हैं.” उनके पिता यशवीर सुनक डॉक्टर हैं और माता उषा सुनक हाल तक एक केमिस्ट की दुकान चलाती थीं. वो अब भी इसी शहर में रहते हैं. ऋषि इसी तरह के साधारण, धार्मिक हिन्दू धर्म का पालन करने वाले लोगों में से हैं. परिवार में पढ़ाई और करियर पर ज़ोर ज़्यादा है. इसी लिए उनके पिता ने उन्हें एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया. अपनी वेबसाइट में वो लिखते हैं, “मेरे माता-पिता ने बहुत त्याग किया ताकि मैं अच्छे स्कूलों में जा सकूं. मैं भाग्यशाली था कि मुझे विनचेस्टर कॉलेज, ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन करने का मौक़ा मिला.” ऋषि सेल्फ़-मेड हैं, वो अपनी वेबसाइट में लिखते हैं “मैं एक सफल व्यावसायिक करियर का आनंद लेने के लिए भाग्यशाली रहा हूं. मैंने एक बड़ी निवेश फर्म की सह-स्थापना की, जो सिलिकॉन वैली से लेकर बैंगलुरु तक की कंपनियों के साथ काम कर रही है.” ऋषि सुनक, कोरोना महामारी से ठीक पहले देश के वित्त मंत्री बने थे, ये एक बड़ी उपलब्धि थी क्योंकि ब्रिटेन में प्रधानमंत्री के पद के बाद वित्त मंत्री का पद दूसरा सब से बड़ा पद माना जाता है. वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने जो कार्य किए उसकी काफी प्रशंसा हुई थी जिसके बाद उन्हें पीएम के रूप में लोग देखना चाहते थे.

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