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बीडी इंटर कॉलेज में महावीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुलहमीद की 55 वी पुण्यतिथि पर दी गयी भावभीनी श्रद्धांजलि

लियाक़त कुरैशी

भगवानपुर:- बी डी इंटर कॉलेज भगवानपुर में महावीर चक्र विजेता और सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से अलंकृत वीर अब्दुल हमीद की 55वीं पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
वीर अब्दुल हमीद को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य संजय गर्ग ने कहा कि जब चीन ने 1962 में भारत पर आक्रमण किया तो अब्दुल हमीद को अपनी वीरता दिखाने का मौका मिला। चीन के साथ उस युद्ध में हमारी सेना का एक जत्था चीनी सैनिकों के घेरे में आ गया ।उस भारतीय जत्थे में अब्दुल हमीद भी थे।भारतीय जत्थे के सैनिक एक-एक करके वीरगति को प्राप्त होते जा रहे थे लेकिन वीर अब्दुल हमीद अपने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय देते हुए चीनी सैनिकों पर काल बनकर टूट रहे थे । चीनी सैनिक अब्दुल हमीद को घेर कर उन पर गोली गोलियों की बौछार कर रहे थे उधर से अब्दुल हमीद की मशीन गन भी दुश्मनों पर मौत के गोले बरसा रही थी ।अब्दुल हमीद अकेले पड़ते जा रहे थे उनके शरीर पर कई गोलियां लग चुकी थी और वह लहूलुहान हो गए थे। जगह-जगह से उनके शरीर से खून निकल रहा था ।चीनी सैनिकों से अकेले लड़ते लड़ते हमीद का जब गोला-बारूद समाप्त हो गया तो वह दुश्मनों के हाथ न लगे इसलिए वह अपनी जान जोखिम में डालते हुए बर्फ में फिसलकर वहां से निकल पड़े। जब 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया तो 8 सितंबर 1965 की रात को अब्दुल हमीद पंजाब के तरनतारन जिले के खेमकरण सेक्टर पहुंचे ,जहां भारत पाकिस्तान की सेना एक दूसरे के आमने सामने थीं। पाकिस्तान के पास उस समय सबसे घातक व खतरनाक हथियार के रूप में अमेरिकन पैटन टैंक था जिस पर पाकिस्तान को बहुत नाज था।यह पैटन टैंक आग के गोले बरसाते हुए भारतीय सीमा में घुसा जा रहा था। तभी अब्दुल हमीद ने पाकिस्तानी सेना को अपने देश से खदेड़ते हुए कई अमेरिकी पैटन टैंकों को ध्वस्त कर दिया ।अब्दुल हमीद जीप में सवार होकर पाकिस्तानियों को मौत की नींद सुला रहे थे तभी अचानक एक गोला अब्दुल हमीद की जीत पर आ गिरा और 10 सितंबर 1965 को मातृभूमि की रक्षा करते हुए अब्दुल हमीद शहीद हो गए।
डॉ विजय त्यागी ने बताया कि 1965 के पाक युद्ध में अद्भुत पराक्रम, अदम्य साहस और शौर्य का परिचय देने पर अब्दुल हमीद को सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया।
इस अवसर पर कु ललिता, श्रीमती कल्पना सैनी, कु अर्चना पाल, श्रीमती पारूल शर्मा आदि शिक्षक शिक्षिकाओं ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

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