रिपोर्ट,, अश्वनी गर्ग
देवबंद… नगर में बुधवार को करवा चौथ का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया महिलाओं ने एकत्र होकर करवा चौथ की कथा भी सुनी कार्तिक वटी 4 को करवा चौथ कहते हैं इसमें गणेश जी का पूजन व्रत सुहागन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए करती है
प्राचीन काल में द्विज नामक ब्राह्मण के साथ पुत्र और एक वीरावती नाम की कन्या थी वीरावती प्रथम वार को करवा चौथ व्रत के दिन भूख से पृथ्वी पर मूर्छित होकर गिर पड़ी तब भाई देखकर रोने लगे और जल में मुंह धुलाकर एक भाई ने बट के वृक्ष पर चढ़कर छलनि में दीपक दिखाकर बहन से कहा कि चंद्रमा निकल आया उसे अग्नि रूप को चंद्रमा समझकर दुख छोड़ वह चंद्रमा के अरक देकर भोजन के लिए बैठी पहले खाने में बाल निकल दूसरी में छिपकली हुई तीसरी कोर में ससुराल से बुलावा आ गया ससुराल में उसने देखा कि पति मरा पड़ा है सहयोग से वह इंद्राणी आई और उसे देखकर विलाप करते हुए वीरावती बोली की है मा किस अपराध का फल मुझे मिला है प्रार्थना करते हुए बोली कि मेरी पति को जिंदा कर दो इंद्राणी ने कहा कि तुम करवा चौथ व्रत खोले बिना चंद्रमा का अरक दे दिया है वह सब उसी का फल है अतः अब तुम 12 महीने के चौथ के व्रत कर करवा चौथ का व्रत श्रद्धा और भक्ति विधि से करो तुम्हारा पति पुण् जीवित हो उठेगा इंद्राणी के वचन सुनकर वीरवती ने विधेय पूर्वक 12 मा चौथ के व्रत किया और भाव से किया व्रत के प्रभाव से उसका पति पुन जीवित हो उठा इसी कथा को सुनकर महिलाओं द्वारा करवा चौथ का पूजन किया गया था।
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