तहलका न्यूज (बिजेंद्र चौधरी)
रुड़की – सहकारी गन्ना समिति रेलवे रोड पर किसानों की बैठक को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन वर्मा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगत सिंह वर्मा ने कहा कि भाजपा की धामी सरकार उत्तराखंड के गन्ना किसानों की घोर उपेक्षा कर रही हैं। इकबालपुर चीनी मिल पर पिछले वर्षों का 150 करोड रुपए गन्ना भुगतान अभी भी बकाया है। और हरिद्वार की चीनी मिलों पर पिछले वर्षों में देरी से किए गए गन्ना भुगतान पर लगा ब्याज 300 करोड रुपए बकाया है। भगत सिंह वर्मा ने कहा कि शुगर कंट्रोल ऑर्डर 1966 के अनुसार जो चीनी मिल 14 दिन के अंदर गन्ना किसानों को भुगतान नहीं करती है उन्हें 15% वार्षिक दर से गन्ना किसानों को ब्याज का भुगतान करना चाहिए। लेकिन सरकार की गलत नीति के कारण चीनी मिलों की मर्जी है कि वह 14 दिन के अंदर गन्ना भुगतान करें या 14 महीने में सरकार की सीधे-सीधे चीनी मिल मालिकों से सांठ गांठ है। भगत सिंह वर्मा ने कहा कि उत्तराखंड उत्तर प्रदेश देश के गन्ना किसानों को गन्ने का लाभकारी मूल्य कम से कम 700 रुपए कुंतल मिलना चाहिए क्योंकि लागत 550 रुपए कुंतल उत्पादन पर आ रही है। भगत सिंह वर्मा ने धामी और मोदी सरकार से देश के गन्ना किसानों को गन्ने का लाभकारी मूल्य ₹700 कुंतल दिलाने चीनी मिलों से गन्ना भुगतान व ब्याज तुरंत दिलाने मनरेगा योजना को खेती से जोड़कर किसानों को मजदूर उपलब्ध कराने एम एस पी को गारंटी कानून बनाने किसानों को उनकी फसलों का लाभकारी मूल्य दिलाने किसानों के सभी कर्ज समाप्त करने 58 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग किसानों को ₹10000 प्रतिमा पेंशन दिलाने डॉ एम एस स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की भी बात कही। गन्ना समिति के बाद उत्तराखंड किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुलशन रोड के नेतृत्व में एसडीएम कार्यालय पर चल रहे धरने को पूर्ण समर्थन दिया। भगत सिंह वर्मा के साथ भारतीय किसान यूनियन वर्मा के प्रदेश सचिव संदीप एडवोकेट व मंडल उपाध्यक्ष कृपाल सिंह चौधरी भी रहे। गन्ना समिति कार्यालय में चौधरी मांगेराम पवार चेयरमैन भाकियू नेता रवि चौधरी रवि प्रधान आदि ने भाग लिया।
More Stories
यति नरसिंहानंद के द्वारा पैगंबर मोहम्मद साहब पर अमर्यादित टिप्पणी भरा वीडियो वायरल होने को लेकर मुस्लिम समुदाय में रोष, जमे की नमाज के बाद मुस्लिम समुदाये ने दिया राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन
200वा बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे मुख्यमंत्री
1857 से नहीं 1822 कुँजा बहादुरपुर से शुरू हुई आजादी की लड़ाई.. विनीत