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रिक्शा चलाकर गुजारा करने वाले बुजुर्ग ने कहा अकेला पेट ही भरने को मजबूर हो गया हूं साहब

लियाकत कुरैशी
रुड़की:- करोना वायरस जैसी संक्रमित बीमारी ने पूरे विश्व को हिला कर रख दिया है लेकिन महामारी के दौर में गरीब असहाय लोगों पर  संकट सा छा गया है दैनिक मजदूरों को अपने परिवार का तो क्या अपना अपना भी पेट भरना दुश्वार हो गया है रुड़की एसडीएम चौक के पास बैठे एक रिक्शा चालक बुजुर्ग ने बताया साहब  अकेला पेट भी भरने को मजबूर हो गया हूं करीब 15 किलोमीटर दूर से आता हूं बुजुर्ग रिक्शा चालक ने कहा  रुड़की शहर के अंदर पेंडल वाली रिक्सा से यात्रियों को ढोकर पहले एक-दो दिन का राशन एकत्र कर लेता था लेकिन जब से महामारी के कारण लॉक डाउन हुआ है अपना अकेला पेट भरना भी दुश्वार हो गया है रिक्शा चालक बुजुर्ग ने बताया कि सुबह से शाम तक 50 से ₹70 तक की कमाई होती है जिससे सिर्फ दो वक्त की रोटी का भी भरपूर इंतजाम नहीं हो पाता ऐसे हालात में रोजमर्रा की जिंदगी गुजारने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है बुजुर्ग रिक्शा चालक ने कहा साहब ₹50 रु 100 भी 15 किलोमीटर दूर से आकर कमाने पड़ते है बुजुर्ग रिक्शा चालक नारसन से आकर रुड़की शहर के अंदर अपने दैनिक मजदूरी पूरी कर लेता था लेकिन जब से लोक डाउन हुआ है मजदूरों पर संकट सा छा गया है रिक्शा चालक ने कहा यदि हल्की-फुल्की कोई बीमारी अचानक लग जाए तो दवाई लेने के लिए सोचना पड़ता है

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