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पत्रकारिता एक साधना है एक सच्चे पत्रकार को धन का नहीं शब्दों का कोष तलाशना चाहिए:– प्रधानाचार्य

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भगवानपुर:-(लियाक़त कुरैशी)30 मई 2020 को पत्रकारिता दिवस के अवसर पर बी डी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य संजय गर्ग ने प्रिंट मीडिया तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों को ऑनलाइन व्हाट्सएप के माध्यम से बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की।
पत्रकारिता दिवस पर दिली मुबारकबाद देते हुए संजय गर्ग ने कहा कि पत्रकारिता एक साधना है। इस साधना को पूर्ण करने के लिए त्याग, परिश्रम ,ईमानदारी , लगन, कर्तव्य परायणता, एकाग्रता तथा निर्भीकता आदि गुणों का होना आवश्यक है ।
ऑनलाइन पत्रकारों के दायित्वों को समझाते हुए संजय गर्ग ने कहा कि जनता की जरूरतों ,उसकी आशा आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करने का दायित्व पत्रकारों का होता है।
युवा पीढ़ी को पथ प्रदर्शित करने का दायित्व अधिकारों का होता है।
आम जनमानस में देशभक्ति की भावना भरने का दायित्व पत्रकारों का होता है ।
समाज की कुरीतियों पर चोट पहुंचाने का दायित्व पत्रकारों का होता है ।
तथा अपने देश की सभ्यता एवं संस्कृति के संवर्धन का दायित्व भी पत्रकारों का होता है ।
न्यायपालिका ,विधायिका एवं कार्यपालिका में संतुलन बनाने एवं उनकी सीमाओं की याद दिलाने का दायित्व भी पत्रकारों का होता है। इसलिये पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है ।
पत्रकारों के चरित्र के बारे में संजय गर्ग ने कहा कि एक पत्रकार का चरित्र देवर्षि नारद जैसा भमणशील महाभारत के संजय जैसा दूरदृष्टि वाला अभिमन्यु जैसा साहसी, परशुराम जैसा निभीक ,सुदामा जैसा संतोषी ,दधीचि जैसा त्यागी तथा हरिश्चंद्र जैसा सत्यवादी ,लक्ष्मण जैसा जोशीला तथा हनुमान जैसा संकट मोचन होना चाहिए।
पत्रकार किसी भी समाचार पत्र की आंख ,कान ,मुख और मस्तिष्क
होता है।वह समाज में घटित होने वाली घटनाओं का अवलोकन करता है ,गतिविधियों का श्रवण करता है तथा उसे लेखनी के माध्यम से पाठकों तक पहुंचाता है ।पाठक समाचार पत्र-पत्रिकाओं में जो पढता है उसे सही मान लेता है आज पत्रकारों के सामने भी यही चुनौती है कि पाठक ने जो समाचार प्रारंभ में पड़कर सही माना है वह समाचार अंत तक सत्यता की कसौटी पर खरा उतरे।
एक सच्चे पत्रकार को धन का नहीं शब्दों का का कोष तलाशना चाहिए ।एक पत्रकार का उद्देश्य धन संग्रह करना नहीं,पाठकों को प्रगति पथ पर ले जाने वाला होना चाहिए। एक पत्रकार को जाति धर्म से ऊपर उठकर समाज एवं राष्ट्र हित में सोचने वाला होना चाहिए ।
लेकिन पत्रकार भी एक सामाजिक प्राणी है जब समाज को उससे इतनी सारी अपेक्षाएं हैं तो उसको भी समाज एवं सरकार से अपेक्षा है।बहुत से पत्रकार अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए जब बलिदान हो जाते हैं तो सरकारों को उनके परिवार के भरण-पोषण के लिए किसी एक बच्चे को यथा योग्य सरकारी नौकरी में लेना चाहिए तथा उस पत्रकार को शहीद का दर्जा देते हुए उचित सम्मान देना चाहिए

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