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एक दल को मिला आश्वासन का फर्रा तो एक दल की सरकार ने मानी बात दिया 20 करोड़ का,..एक विधायक ने बनाई धरने से दूरी

झबरेड़ा/इकबालपुर मिल में बकाया  गन्ना भुगतान को लेकर राजनीतिक दलों ने अपना दमखम दिखाया 9 तारीख को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा धरना देने की घोषणा का समाचार वायरल होते ही खानपुर विधायक उमेश कुमार ने भी इकबालपुर मिल परिसर में जाकर किसानों के दिल में जगह बनानी चाही और 8 मई को विधायक उमेश कुमार ने बकाया गन्ना भुगतान कराने के लिए मिल में पधारकर अपना दमखम दिखाया जिसमें सलेमपुर निवासी विकास सैनी भी सिर्फ हुटर बजाते हुए इकबालपुर मिल में दाखिले हुए बद्री विशाल अखबार में छपी खबर के अनुसार जब इकबालपुर मिल में खानपुर विधायक उमेश कुमार के साथ भीड़ दिखाई नहीं दी तो किसी तरह बसपा नेता सुबोध राकेश ने  इकबालपुर मिल में आकर खानपुर विधायक की लाज बचाई जहां पर सुबोध राकेश जिंदाबाद के नारे अधिक सुनाई दिए बताया जा रहा है कि इकबालपुर प्रबंधक कमेटी ने उमेश कुमार को सिर्फ लिखित फर्रा देकर बकाया गन्ना भुगतान का आश्वासन दिया जबकि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा 9 मई को धरने की सूचना से प्रशासन भी चौकन्ना हो गया था धरना शुरू होने से पहले ही पुलिस प्रशासन-व इंटेलिजेंस की आंखे चौकन्नी रही। बकाया गन्ना भुगतान को लेकर अडिग देश के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के सामने मिल प्रबंधक तथा सरकार को झुकना ही पड़ा जिसका नतीजा यह निकला कि सरकार के आदेशानुसार मिल प्रबंधक कमेटी ने 20 करोड रु का चेक पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के सामने गन्ना भुगतान के लिए दिया।बताया जाता है कि धरने पर भीड़ एकत्रित करने के लिए पूर्व राज्य मंत्री मोहम्मद अयाज तथा पूर्व राज्य मंत्री डॉ गौरव चौधरी का अहम योगदान रहा वही बद्री विशाल अखबार में छपी खबर के अनुसार झबरेड़ा विधायक वीरेंद्र जाति ने अगले दिन धरने से क्यों दूरी बना ली थी यह तो जांच का विषय है

24 घंटे के अंदर ही पूर्व थानाध्यक्ष झबरेड़ा हुए बहाल

बीती 9 मई को शाम के समय शिकायत के आधार पर पूर्व थानाध्यक्ष झबरेड़ा दीप कुमार को  वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार ने आला अधिकारियों  के निर्देशानुसार  सस्पेंड कर दिया था लेकिन जब शिकायत की जांच हुई तो शिकायत गलत पाई  गई।24 घंटे के अंदर ही पूर्व थानाध्यक्ष झबरेडा दीप को बहाल कर दिया।

 

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