Tahelka news

www.tahelkanews.com

हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही कर सकते है आपत्तिजनक कार्य..तहसीलदार__ मजिस्ट्रेट का आदेश नही दिखा पाए एसडीओ( विद्युत)

Spread the love

 

झबरेड़ा… नारशन ब्लॉक के झबरेड़ी कला गांव में विवादित कार्य को सुलझाने के लिए पहुंचे रुड़की तहसीलदार दयाराम ने कहा कि यदि कोई मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है और उसकी तारीख निश्चित है तो उससे पहले कोई भी कार्य नहीं कर सकते

क्योंकि माननीय उच्च न्यायालय का आदेश सर्वोपरि है जबकि विद्युत एसडीओ का कहना है की विद्युत लाइन फिटिंग का कार्य मजिस्ट्रेट के आदेशानुसार किया जा रहा हे लेकिन मौके पर रुड़की मजिस्ट्रेट द्वारा दिए गए आदेश नहीं दिखा पाए जबकि गांव के किसानों ने हाई कोर्ट द्वारा निश्चित की गई तारीख के आदेश तहसीलदार महोदय सहित मीडिया के सामने भी उजागर किये। झबरेड़ी कला गांव में भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत एक ट्यूबवेल लगना था लेकिन उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन के अधिकारियों ने किसानों के खेतों के अंदर विद्युत पोल लगाकर लाइन सुचारू करनी चाही लेकिन किसानों ने आपत्ती जताते हुए मामले को लेकर उच्च न्यायालय के द्वार पहुंचे। किसानों का कहना है कि माननीय उच्च न्यायालय ने सुनवाई की तारीख 4 अक्टूबर निश्चित की हे जबकि विद्युत अधिकारी उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए सुनवाई की निश्चित तिथि से पहले ही आ गए तहसीलदार रुड़की दयाराम का कहना है वर्तमान में विद्युत पोल किसानों के खेत में खड़े है जो गलत हे लेकिन अवकाश समाप्ति के बाद पैमाइस कर सरकारी जगह में विद्युत पोल लगवाए जायेंगे

खसरा नंबर को लेकर क्या बोले किसान…

किसानों का कहना की प्रधानमंत्री कृषि
सिंचाई योजना के अंतर्गत लगाए जाने वाले ट्यूबवेल को लघु सिंचाई विभाग ने खसरा नंबर 548 में लगाना था जबकि नियम को अनदेखा करते हुए खसरा नंबर 337 में लगाने की योजना बनाई है जो नियम विरुद्ध है

अलग अलग खसरा नंबर को लेकर क्या कहा तहसीलदार रुड़की ने..

तहसीलदार रुड़की दयाराम का कहना है की अलग अलग दो खसरा नंबर की शिकायत मिली है जिसकी जांच आने वाली 12अक्टूबर को की जाएगी

विद्युत विभाग को लेकर किसानों में गुस्सा..

किसानों का कहना है की विद्युत विभाग के अधिकारी कार्यालय में बैठकर ही कार्ययोजना बनाते हे यदि मौके पर आकर जांच करते तो ये विवाद न होता सारे विवाद की जड़ संबंधित विद्युत अधिकारी हे।

About The Author